थर्मल पावर प्लांट से निकलने वाली फ्लाई ऐश जिसे अब तक पर्यावरणीय बोझ और औद्योगिक कचरे की तरह देखा जाता था, लेकिन अब यह खेती के लिए वरदान साबित हो सकती है। भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान (आईआईएसएस) समेत देश के 5 प्रमुख केंद्रों में चल रही रिसर्च में सामने आया है कि यह राख मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ाने और उत्पादन में उल्लेखनीय इजाफा करने की क्षमता रखती है। नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) ने फ्लाई ऐश के खेती में उपयोग पर 2021 में 10 वर्षों का वैज्ञानिक अध्ययन शुरू किया है।
यह रिसर्च भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान के नेतृत्व में देश के अलग-अलग मृदा क्षेत्रों भोपाल, झांसी, भुवनेश्वर, दिल्ली और मोहनपुर (प. बंगाल) में की जा रही है। हर क्षेत्र की मिट्टी अलग है और इन सभी पर फ्लाई ऐश का असर पॉजिटिव रहा है। भोपाल में काली चिकनी मिट्टी, झांसी में दोमट, भुवनेश्वर में लाल-पीली लैटराइट, मोहनपुर और दिल्ली में जलोढ़ मिट्टी पर रिसर्च की गई। इनमें से जलोढ़ मिट्टी वाले क्षेत्रों में धान की पैदावार में तेजी से इजाफा हुआ है।
फ्लाई ऐश में 16 पोषक तत्व... ये मिट्टी की सेहत सुधारता है, इससे जलधारण क्षमता भी बढ़ी
भविष्य की संभावनाएं
डंपिंग की समस्या से राहत, किसान की लागत घटेगी
1. बिजली की मांग बढ़ने के साथ फ्लाई ऐश उत्पादन भी बढ़ेगा। ऐसे में इसकी कृषि में उपयोगिता को लेकर नई संभावनाएं हैं। खासकर रेशेदार फसलें, सजावटी पौधों के लिए। डंपिंग समस्या खत्म होगी। 2. रेशेदार फसलें, सजावटी पौधे और बागवानी फसलें इसके प्रयोग से लाभान्वित हो सकती हैं। 3. किसान को कम लागत, ज्यादा पैदावार और कम उर्वरक उपयोग से फायदा होगा। 4. पर्यावरणीय प्रभाव सकारात्मक होगा, क्योंकि थर्मल प्लांट की फ्लाई ऐश का सही उपयोग हो पाएगा।