भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने 18 मई 2025 को ईरान के सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (SNSC) के सचिव अली अकबर अह्मदियान से टेलीफोन पर बातचीत की।
इस बातचीत में भारत-ईरान रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करने पर चर्चा हुई। इस दौरान चाबहार पोर्ट प्रोजेक्ट और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर (INSTC) पर जोर दिया गया।
भारत ने क्षेत्रीय स्थिरता में ईरान की ‘रचनात्मक भूमिका’ की सराहना की और चाबहार प्रोजेक्ट पर सहयोग बढ़ाने में भारत की रुचि व्यक्त की। इस प्रोजेक्ट से भारत, पाकिस्तान को बाईपास करते हुए सीधे सेंट्रल एशिया तक पहुंच बना सकता है।
ईरानी सचिव अह्मदियान ने भी राजनीतिक और आर्थिक सहयोग की संभावनाओं पर जोर दिया। साथ ही क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए चाबहार प्रोजेक्ट के तेजी से आगे बढ़ाने की आवश्यकता बताई।
पाकिस्तान को घेरने की तैयारी कर रहा भारत
ईरान के साथ भारत की बातचीत को पाकिस्तान को घेरने के रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। खासकर हाल के भारत-पाकिस्तान तनाव और अफगानिस्तान के साथ भारत के बढ़ते संबंधों के संदर्भ में। पाक चाबहार को अपनी भू-राजनीतिक घेराबंदी के रूप में देखता है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मावलवी आमिर खान मुत्ताकी से फोन पर बात की थी, जो 1999 के बाद से भारत और तालिबान के बीच पहली बात थी। इससे पहले कंधार विमान अपहरण के समय भारत-तालिबान में बात हुई थी।
पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट को टक्कर देगा चाबहार
भारत ने 2016 में ईरान के चाबहार पोर्ट के विकास के लिए 3,750 करोड़ रु. के निवेश की घोषणा की थी। भारत ने 187.5 करोड़ की लागत से 6 मोबाइल हार्बर क्रेन्स और अन्य उपकरणों की आपूर्ति की है।
चाबहार पोर्ट भारत को पाक को बाईपास करते हुए अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक सीधी पहुंच प्रदान करता है।
चाबहार को पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट की तुलना में भारत के रणनीतिक पोर्ट के तौर पर देखा जा रहा है। ग्वादर को बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट के तहत चीन विकसित कर रहा है। चाबहार पोर्ट से पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट को टक्कर देने में मदद मिलेगी।
पाक को डर है कि इस प्रोजेक्ट के पूरा होने पर वह भू-राजनीतिक रूप से अलग-थलग हो सकता है।चाबहार से भारतीय नौसेना की पश्चिमी हिंद महासागर और फारस की खाड़ी में उपस्थिति मजबूत होती है।
क्या है चाबहार पोर्ट और भारत के लिए क्यों जरूरी है
भारत दुनियाभर में अपने व्यापार को बढ़ाना चाहता है। चाबहार पोर्ट इसमें अहम भूमिका निभा सकता है। भारत इस पोर्ट की मदद से ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के साथ सीधे व्यापार कर सकता है। ईरान और भारत ने 2018 में चाबहार पोर्ट तैयार करने का समझौता किया था।
पहले भारत से अफगानिस्तान कोई भी माल भेजने के लिए उसे पाकिस्तान से गुजरना होता था। हालांकि, दोनों देशों में सीमा विवाद के चलते भारत को पाकिस्तान के अलावा भी एक विकल्प की तलाश थी। चाबहार बंदरगाह के विकास के बाद से अफगानिस्तान माल भेजने का यह सबसे अच्छा रास्ता है।
भारत अफगानिस्तान को गेंहू भी इस रास्ते से भेज रहा है। अफगानिस्तान के अलावा यह पोर्ट भारत के लिए मध्य एशियाई देशों के भी रास्ते खोलेगा। इन देशों से गैस और तेल भी इस पोर्ट के जरिए लाया जा सकता है।
ट्रम्प ने चाबहार पोर्ट को प्रतिबंधों में मिली छूट खत्म की
चाबहार पोर्ट प्रोजेक्ट अमेरिका की वजह से काफी प्रभावित हुआ है। अमेरिका ईरान पर दवाब बनाने के लिए प्रतिबंधों की धमकी देता रहा है। पहले अमेरिका के ईरान पर प्रतिबंधों के कारण निवेश करने वाली कंपनियों ने दूरी बना ली।
इसके बाद 2018 में अमेरिका चाबहार पोर्ट परियोजना को प्रतिबंधों से बाहर रखने को राजी हुआ, जिससे भारत को अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुंचने में सहायता मिली। लेकिन, फरवरी 2025 में राष्ट्रपति ट्रम्प ने इस छूट को समाप्त कर दिया, जिससे भारतीय कंपनियों को प्रतिबंधों का सामना करने का खतरा बढ़ गया।
भारत को सेंट्रल एशिया और रूस-यूरोप तक पहुंच देगा INST कॉरिडोर
12 सितंबर 2000 को भारत, ईरान और रूस ने सेंट पीटर्सबर्ग में आईएनएसटीसी डील पर साइन किए। 7,200 किमी लंबा मल्टी-मोडल नेटवर्क कॉरिडोर समुद्र, रेल और सड़क मार्गों के माध्यम से भारत, ईरान, मध्य एशिया, रूस और यूरोप को जोड़ता है।
इस कॉरिडोर से सामान भेजने पर पारंपरिक मार्गों की तुलना में 40% समय और 30% लागत बचता है। इस कॉरिडोर से ईरान ट्रांजिट हब के रूप में उभरता है।